नमस्कार मैं आज आप लोगों के साथ नए तरीके से जुड़ रहा हूं http//appmnews.com के साथ आशा और उम्मीद करता हूं कि आप लोग साथ देंगे |
मैं अपना आज पहला ब्लॉक समाज की नींव पर लिख रहा जो कि हमारे समझ में बहुत ही जरूरी है | संस्कार अगर हम इसके बात करें तो हम भारतीय संस्कार से ही दुनिया में पहचान बना रखें लेकिन इस बदलती दुनिया ने भारतीय संस्कार को चुनौतियों से भर दिया | आज हमारे संस्कारों का पतन हो रहा है, छोटे बड़े का अंतर खत्म हो रहा है | छोटा बड़े करने का मेरा मतलब जात-पात या गोरा-कला से नहीं बल्कि एक बाप से बेटा का, एक गुरु से शिष्य का, एक मां से अपनी बेटी का, एक घर-परिवार का मुखिया से और एक समाज का नेता से | क्या हमारे देशभक्तों ने अपने लहू से आजादी इसलिए दिलाई थी कि हम आपस में हिंदू मुस्लिम या आपसी जाति पाति की लड़ाई से लड़े नहीं हमें अपनी स्वतंत्रता चाहिए थी वह स्वतंत्रता जो हमें संविधान देता है लेकिन इस बदलती दुनिया ने भारतीय संस्कार को इतना प्रभावित किया कि लोग अपनी मर्यादाएं भूलते चले जा रहे हैं इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार कौन क्या उसकी जिम्मेदार मोबाइल है सोशल मीडिया है जिसमें सबसे ज्यादा लोग एक्टिव रह रहे हैं या हमारी सोच ! अगर हम देखे तो हर परिवार कहीं न कहीं खत्म हो रहा है कहीं कोई परिवार अपने बेटे से परेशान है तो कहीं कोई परिवार के मुखिया से, इसको सुधारा कैसे जाय इन सब चीजों के लिए हमें खुद आगे आना होगा और अपने बच्चों को संस्कार देना होगा संस्कार लोगों का सम्मान करने का संस्कार लोगों से बात करने के लहजे का | हम बच्चों में संस्कार तो देखना चाहते हैं लेकिन बच्चा भी हमसे उसी संस्कार की इच्छा रखता है तो पहले खुद को सुधारना होगा | उसके साथ ही साथ अपने आने वाली पीढ़ी को | जहां तक बात रही मोबाइल की तो बहुत ही सुविधाजनक के साथ-साथ विनाशक भी है तो हमें इसमें सुविधाजनक या अच्छी चीजों को लेना है गलत चीजों को ब्लॉक करना है | बातें तो बहुत है पर आज मेरा पहला ब्लॉक है | आप अपनी राय जरूर दें हमारा ब्लॉग कैसा लगा आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
आपका अपना
अभिषेक पांडेय
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Nice
This is the best thought but unfortunately nobody gave sanskar of their child
Bina sanskar ke di gayi suvidha bachcho ko khayi me dhakel diya jata hai
संस्कार शब्द ही अपने आप में एक पुरा परिपूर्ण जीवन है ।
बिना उसके किसी का भी जीवन एक घरे कोहरे के समान होता है
बच्चों को संस्कार के बिना दी गयी सुविधा उनको अंधकार में धकेलने जैसा होता है
सबसे पहला संस्कार माँ अपने बच्चे को अपने गर्भ में ही देती है जैसा उसका व्यहार उसका रहना सब कुछ उसके ऊपर रहता है बाहरी संस्कार तो कुछ सालों बाद दिया जाता है
बच्चों को ज्यादा प्रेम देना ही हमारे लिये विष के समान हो जाता है जितने प्रेम से एक माँ बाप अपने बच्चों को एक नन्ही सी जान से सामाजिक तौर पर जीना सिखाते है वही बच्चें बड़े होकर उनके सामने खुद को ज्यादा पढ़ा लिखा समझने लगते है जो औलाद खुद के माँ बाप के सामने अपने मन से रहे वो उनके उम्मीद को तोड़ देता है घर के बड़े अगर है तो बिना उनसे पूछे हम कोई भी फैसला नहीं ले सकते चाहे कैसी भी परिस्थिति हो हमारे जीवन में माँ बाप की दौलत और सोहरत नहीं उनका होना ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी दौलत है
अपने माँ बाप का उसी तरीके से ख्याल रखे जैसा की आप अपने बच्चों का रखते है
जय श्री राम 🙏🙏