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लाल हुई माटी घाटी की……..

रामकेश

लाल हुई माटी घाटी की…….

इंतक़ाम तुम ले लो भारत,

दुश्मन फिर उकसाया है।

लाल हुई माटी घाटी की,

निर्दोषों ने प्राण गँवाया है।

लेफ्टिनेंट विनय की जवानी,

पल भर में वो ढेर हुई।

कहाँ सुरक्षा इंतजामों में,

हमसे भी कुछ देर हुई।

फूलों के खुशबू के ऊपर,

फिर आतंक का साया है,

लाल हुई माटी घाटी की,

निर्दोषों ने प्राण गँवाया है।

इंतक़ाम तुम ले लो भारत,

दुश्मन फिर उकसाया है।

 

सूरज-चाँद-सितारे कहते,

कब तक धोखा खाओगे?

राफेल तुम्हारी मुट्ठी में हैं,

कब तक अर्थी पे फूल चढ़ाओगे।

खेल- खेल रहे जो घाटी में,

उनको सबक सिखाओ तुम।

सेना को आदेश थमा दो,

नया भूगोल बनाओ तुम।

अमन की माला रटना छोड़ो,

ऐसा दिन अब आया है,

लाल हुई माटी घाटी की,

निर्दोषों ने प्राण गँवाया है।

इंतक़ाम तुम ले लो भारत,

दुश्मन फिर उकसाया है।

 

दो के बदले बीस शीश तुम्हें,

जिस दिन काटने आएगा।

डरकर चूहा घुसेगा बिल में,

न शेर को आँख दिखायेगा।

तप, त्याग, संयम की गठरी,

कुछ दिन तुम्हें छुपानी होगी।

इजराइल से जीना सीखो,

गाण्डीव धनुष उठानी होगी।

धधक रही है आग देश में,

ताज़ा सिंदूर मिटाया है,

लाल हुई माटी घाटी की,

निर्दोषों ने प्राण गँवाया है।

इंतक़ाम तुम ले लो भारत,

दुश्मन फिर उकसाया है।

IMG-20250424-WA0006 लाल हुई माटी घाटी की........गीतकार : रामकेश एम.यादव ‘सरस` मुंबई,

 

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