
रुलाती गर्मी 2025
रुलाती गर्मी 2025
भारत में गर्मी के प्रभावों में स्वास्थ्य, कृषि, पानी की आपूर्ति, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, और सामाजिक पहलुओं को शामिल किया गया है। यह नोट वर्तमान समय (14 मई, 2025, दोपहर 1:40 IST) के आधार पर तैयार किया गया है और नवीनतम आंकड़ों और पूर्वानुमानों पर आधारित है।
भारत में गर्मी की लहरें, विशेष रूप से अप्रैल से जून के बीच, हर साल गंभीर चुनौतियां पेश करती हैं। 2025 में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अप्रैल से जून तक तापमान के सामान्य से अधिक रहने और लंबी गर्मी की लहरों की भविष्यवाणी की है यह रिपोर्ट 2024 के रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के बाद आती है, जब चुरू, राजस्थान में तापमान 50.5°C तक पहुंच गया था और 37 शहरों में 45°C से ऊपर का तापमान दर्ज किया गया
स्वास्थ्य पर प्रभाव
गर्मी की लहरों से स्वास्थ्य पर सबसे गंभीर असर पड़ता है, विशेष रूप से लू, निर्जलीकरण, और अन्य गर्मी संबंधित बीमारियों के रूप में। 2024 में, मार्च से जून के बीच 17 राज्यों में 700 से अधिक मौतें हुईं, और 25,000 से अधिक लोग गर्मी से बीमार पड़े 2025 में, गर्मी की शुरुआत फरवरी/मार्च से ही हो गई, जो एक चिंताजनक है | विवाद यह भी है कि आधिकारिक आंकड़े गर्मी से होने वाली मौतों को कम करके दिखाते हैं, क्योंकि कई मामलों में मृत्यु प्रमाण पत्र में गर्मी को सीधा कारण नहीं माना जाता । यह अंडरकाउंटिंग भविष्य की तैयारी को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब संसाधन पहले से ही तनाव में हैं।
कृषि और पर्यावरण पर असर
कृषि क्षेत्र गर्मी से गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। उच्च तापमान और कम पानी की उपलब्धता से फसलों को नुकसान पहुंच रहा है, विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह फसल उत्पादन में कमी और खाद्य कीमतों में वृद्धि का कारण बन सकता है । पर्यावरणीय रूप से, शुष्क मौसम जंगलों में आग लगने की घटनाओं को बढ़ा रहा है, जो वन्यजीवों और पारिस्थितिक तंत्रों को खतरे में डाल रहा है। जनवरी से मार्च 2025 तक यूरोशियाई बर्फ ढकाव सामान्य से काफी कम रहा, जिससे गर्मी की तीव्रता और बढ़ी पानी की कमी और दैनिक जीवन पर प्रभाव गर्मी के कारण वाष्पीकरण बढ़ने से और पानी की मांग बढ़ने से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पानी की कमी हो रही है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में गंभीर है जहां भूजल स्तर पहले से ही कम है | दैनिक जीवन में, लोग सबसे गर्म समय (दोपहर 12 से 3 बजे) से बचने के लिए सुबह या शाम को काम कर रहे हैं, जिससे उत्पादकता कम हो रही है। बिजली की मांग भी बढ़ रही है, क्योंकि एयर कंडीशनर और कूलर का उपयोग बढ़ गया है, जिससे पावर कट की संभावना बढ़ गई है
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
आर्थिक रूप से, गर्मी से मजदूरों और बाहरी काम करने वालों की उत्पादकता कम हो रही है, विशेष रूप से निर्माण और कृषि क्षेत्र में। यह अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक असर डाल सकता है। सामाजिक रूप से, कमजोर समूह जैसे बुजुर्ग, बच्चे, और गरीब परिवार सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। गर्मी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन बढ़ जाता है, जिससे शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ता है ।
तापमान और चेतावनी
IMD ने अप्रैल से जून 2025 तक तापमान के सामान्य से अधिक रहने की भविष्यवाणी की है, जिसमें पश्चिमी भारत में 7-8 अतिरिक्त गर्मी के दिन हो सकते हैं। अप्रैल, 2025 मे ही दिल्ली में 40.2°C, फलौदी (राजस्थान) में 43.6°C, और बाड़मेर (राजस्थान) में 45.6°C दर्ज किया गया राजस्थान के लिए लाल चेतावनी और दिल्ली के लिए पीली चेतावनी जारी की गई है।

2025 के लिए गर्मी के प्रमुख प्रभाव
प्रभाव का क्षेत्र | विवरण | उदाहरण/आंकड़े |
|---|---|---|
स्वास्थ्य | लू और निर्जलीकरण से मौतें बढ़ीं | 2024 में 700+ मौतें, 2025 में संभावित वृद्धि |
कृषि | फसलों को नुकसान, खाद्य आपूर्ति प्रभावित | राजस्थान, गुजरात में नुकसान |
पानी की कमी | शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी | भूजल स्तर में कमी |
आर्थिक | उत्पादकता कम, बिजली की मांग बढ़ी | पावर कट की संभावना |
पर्यावरण | जंगल की आग, पारिस्थितिक तंत्र पर असर | यूरोशियाई बर्फ ढकाव कम |
सामाजिक | कमजोर समूह प्रभावित, ग्रामीण से शहरी पलायन | बुजुर्ग, बच्चे सबसे अधिक प्रभावित |

गर्मी की लहरों की अवधि और तीव्रता में वृद्धि जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। 20वीं सदी की शुरुआत से भूमि का तापमान लगभग 0.8°C बढ़ गया है, और 2024 को विश्व मौसम संगठन ने रिकॉर्ड तोड़ गर्म साल के रूप में घोषित किया |
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