NEWS HIGHLIGHTS

मैं कोई फरिश्ता नहीं…दुश्मन को कलेजे से लगाकर तो देखो

रामकेश

मैं कोई फरिश्ता नहीं……….

दुश्मन को कलेजे से लगाकर तो देखो,
इंसानियत की दौलत बचाकर तो देखो।
रुसवा करके किसी को मिला ही क्या है,
नफरत की दीवार गिराकर तो देखो।

जब भी मुँह खोलो तुम सच ही बोलो,
खुद को दानेदार बनाकर तो देखो।
साँसें टूटेंगी, छूटेगी वो चाँद की मड़ई,
सच्चाई के तराजू पे चढ़कर तो देखो।

महंगे लिबास नंगा होने से बचा नहीं सकते,
अपने वचन पे क़ायम रहकर तो देखो।
खेल मत खेलो कोई नुकसान पहुँचाने का,
किसी की साँसें तू बढ़ाकर तो देखो।

ये अजीब दुनिया है, एक खेल का मैदान,
अगर इसे जीत न सको, हारकर तो देखो।
मैं अपने वक़्त का कोई फरिश्ता नहीं,
मेरी आँखों को आईंना बनाकर तो देखो।

 

IMG-20250424-WA0006 मैं कोई फरिश्ता नहीं...दुश्मन को कलेजे से लगाकर तो देखो
गीतकार : रामकेश एम. यादव, मुंबई

वैद्य-scaled मैं कोई फरिश्ता नहीं...दुश्मन को कलेजे से लगाकर तो देखो

वेदांता इंटरनेशनल स्कूल में समर कैंप का भव्य समापन समारोह संपन्न

gst3-scaled मैं कोई फरिश्ता नहीं...दुश्मन को कलेजे से लगाकर तो देखो

खेल से बनता है स्वस्थ समाज

Share this content:

Post Comment